हमारी जिम्मेदारी केवल परंपराओं को संरक्षित करना नहीं, बल्कि ध्याणियों और मैतियों के बीच खोती जा रही भावनात्मक दूरी को कम करना भी है।
“कल्यौ” एक ऐसा प्रयास है जो इस सामाजिक दायित्व को निभाते हुए गढ़वाल की सांस्कृतिक गरिमा को पुनर्जीवित करता है। हमारी सेवा के माध्यम से, हर ध्याणी को वह अपनापन और स्नेह महसूस हो, जो उसे अपने मैत से जुड़ा रखे।
हमारी गढ़वाली संस्कृति की खूबसूरत परंपरा, जो ध्याणी और मैती के बीच गहरे स्नेह और अपनापन को दर्शाती है, अब रावत हॉस्पिटालिटी के माध्यम से फिर से जीवंत की जा रही है।