गढ़वाल क्षेत्र में कल्यौ भेजने और ध्याणियों के मैत आने की परंपरा गहराई से सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों से जुड़ी है। निम्नलिखित पंचांग इस परंपरा का सार प्रस्तुत करता है:
वर्ष भर के कल्यौ अवसर
मुख्य त्योहारों पर कल्यौ
1. फूलदेई (मार्च-अप्रैल) • ध्याणियों के लिए फूल और मिठाइयाँ भेजी जाती हैं। • पारंपरिक व्यंजन: ऐरसा, स्वांला।
2. हरेला (जुलाई) • हरियाली और समृद्धि के प्रतीक के रूप में फल, मिठाइयाँ और पौधे। • पारंपरिक व्यंजन: झंगोरे की खीर।
3. घी संक्रांति (अगस्त) • घी, ताजे व्यंजन और रोटाना भेजा जाता है। • संदेश: स्वस्थ और समृद्ध जीवन की कामना।
4. दीपावली (अक्टूबर-नवंबर) • मिठाइयाँ, पारंपरिक दीपक, और साड़ी या शॉल। • उत्सव के लिए विशेष तैयार व्यंजन।
5. इगास बग्वाल / मंगशीर बग्वाल (दीपावली के 11/ ३० दिन बाद) • भैलो और झंगोरे की खीर के साथ पारंपरिक मिठाइयाँ।
6. मकर संक्रांति (जनवरी) • तिल-गुड़ और खिचड़ी के साथ हलवा और लड्डू।
चार विशेष महीनों में कल्यौ
1. ज्येष्ठ (मई-जून) • गर्मियों में पारंपरिक हल्के व्यंजन और ताजे फल। • ठंडी सामग्री जैसे गुड़ और कच्चे आम।
2. भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) • मौसम के फल, मिठाइयाँ और पारंपरिक वस्त्र।
3. मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) • ठंडी के व्यंजन: सिदकु, झंगोरा की खीर, और शॉल या ऊनी कपड़े।
4. माघ (जनवरी-फरवरी) • गर्म पेय, तिल-लड्डू, और स्वांला।
विशेष अवसरों पर कल्यौ
1. शादी • ध्याणियों के लिए साड़ी, गहने, और पारंपरिक पकवान। • विशेष भोज सामग्री।
2. यज्ञोपवीत (जनेऊ) • मिठाइयाँ, वस्त्र, और शुभकामना के प्रतीक के रूप में पूजा सामग्री।
3. मुंडन संस्कार • बच्चों के लिए विशेष उपहार और ध्याणियों के लिए पारंपरिक वस्त्र।
4. भिटौली (मार्च-अप्रैल) • विवाहित बेटियों को उपहार और स्नेह के साथ भेजा गया कल्यौ।
कल्यौ में क्या-क्या भेजा जाता है?
1. पारंपरिक व्यंजन: ऐरसा, स्वांला, पकोड़ी, झंगोरा की खीर। 2. मिठाइयाँ: बाल मिठाई, तिल-लड्डू, बूंदी। 3. वस्त्र: साड़ी, शॉल, ऊनी कपड़े। 4. पूजा सामग्री: दीप, फूल, सिंदूर, चावल।
“कल्यौ पंचांग” न केवल गढ़वाल की पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि ध्याणियों और मैतियों के बीच के रिश्तों को भी मजबूती देता है। यह परंपरा हमें हमारे जड़ों से जोड़े रखती है और हर अवसर को प्रेम और अपनत्व से भर देती है।
हमारी गढ़वाली संस्कृति की खूबसूरत परंपरा, जो ध्याणी और मैती के बीच गहरे स्नेह और अपनापन को दर्शाती है, अब रावत हॉस्पिटालिटी के माध्यम से फिर से जीवंत की जा रही है।