हर पीढ़ी गढ़वाल की परंपराओं की उत्तराधिकारी है। हमारा प्रयास है कि ध्याणियों और मैतियों के रिश्ते को सुदृढ़ कर इस अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर को भावी पीढ़ी तक पहुंचाया जाए।
“कल्यौ” गढ़वाल की बेटियों के लिए वह अमूल्य उत्तराधिकार है, जो उनकी जड़ों और संस्कृति से जोड़ता है। यह परंपरा, प्रेम और सम्मान का एक जीवंत प्रतीक है।
हमारी गढ़वाली संस्कृति की खूबसूरत परंपरा, जो ध्याणी और मैती के बीच गहरे स्नेह और अपनापन को दर्शाती है, अब रावत हॉस्पिटालिटी के माध्यम से फिर से जीवंत की जा रही है।